शानदार रिसर्च का हिंदी अनुवाद है।

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कोरोनवायरस - अब तो कदम उठाइये!

नोट : ये Tomas Pueyo द्वारा 13 मार्च 2020 को प्रकाशित शानदार रिसर्च का हिंदी अनुवाद है।

 

कोरोनावायरस से संबंधित जो भी हो रहा है, उसे देखते हुए यह निर्णय लेना बहुत मुश्किल हो सकता है कि हम आज क्या कर सकते हैं। क्या हमें और अधिक जानकारी की प्रतीक्षा करनी चाहिए? आज के आज ही कुछ करना चाहिए? अगर हाँ, तो फिर क्या करना चाहिए?

इस ब्लॉग में मैं डेटा, ग्राफ और सूत्रों के माध्यम से ये बताने की कोशिश कर रहा हूँ कि:

इस ब्लॉग को पढ़ने के बाद आप ये समझ जाएंगे कि:

एक राज्य, समुदाय या व्यवसाय के नेता के रूप में, आपके पास इसे रोकने की शक्ति और ज़िम्मेदारी है। आज आपको ये लग रहा होगा कि क्या मैं ज़रूरत से ज़्यादा फ़िक्र कर रहा हूँ? क्या लोग मुझ पर हंसेंगे? क्या वे मुझसे नाराज़ होंगे? कहीं मैं बेवकूफ़ तो नहीं दिखूंगा? क्या ये बेहतर नहीं होगा की पहले दूसरों का इंतज़ार करूँ ये सारे कदम उठाने के लिए? क्या मैं अर्थव्यवस्था को बहुत नुकसान पहुंचाऊंगा?

लेकिन 2-4 हफ्तों में, जब पूरी दुनिया घरों में बंद होगी, जब आपके द्वारा किये गए सोशल डिस्टेंसिंग के चलते कीमती वक़्त बचने से कई जानें बची होगी, तो लोग आपकी आलोचना नहीं करेंगे। बल्कि वे आपको सही निर्णय लेने के लिए धन्यवाद देंगे।

चलिए, इन सवालों के जवाब ढूंढते हैं।

1. आपके क्षेत्र में कोरोनावायरस के कितने मामले होंगे?

चीन में कुल मामलों में तब तक तेजी से वृद्धि हुई जब तक इसे नियंत्रित नहीं किया गया। लेकिन फिर, यह बाहर लीक हो गयी, और एक ऐसी महामारी का रूप ले लिया जिसे रोकना मुश्किल हो गया।

आज यह वृद्धि ज्यादातर इटली, ईरान और दक्षिण कोरिया के मामलों के कारण है:

दक्षिण कोरिया, इटली और ईरान में इतने मामले हैं कि बाकी देशों को देखना मुश्किल है।आइये इस ग्राफ में हम नीचे-दाईं ओर के कोने पर ज़ूम कर के देखते हैं:

दर्जनों देशों में वृद्धि दर घातक है। आज उनमें से ज्यादातर देश पश्चिमी हैं।

अगर सिर्फ एक सप्ताह के लिए ये वृद्धि दर बनी रहती है, तो क्या नतीजे होंगे, नीचे देखें:

यदि आप समझना चाहते हैं कि आगे क्या होगा, या हम इसे कैसे रोक सकते हैं, तो आपको उन देशों को देखने की जरूरत है जो पहले ही इस से गुज़र चुके हैं जैसे की चीन, इटली, या पूर्वी देशों का SARS के साथ अनुभव।

चीन

यह सबसे महत्वपूर्ण चार्टों में से एक है।

इसमें नारंगी/ पीली डंडियाँ बताती हैं कि हुबेई प्रांत में मामलों की दैनिक आधिकारिक संख्या कितनी थी। अर्थात उस एक दिन कितने मामलों की पुष्टि हुई थी।

ग्रे (हल्के काले) रंग की डंडीयां यह दर्शाती हैं की असलियत में उस दिन कोरोनावायरस के कितने मामले थे। इन आंकड़ों को चीनी सीडीसी ने इलाज के दौरान मरीज़ों से यह पूछ कर जुटाया है कि उनके लक्षण कब शुरू हुए थे।

स्वाभाविक रूप से, कुल मामलों की ये असली संख्या उस समय मालूम नहीं थी। हम अब पीछे देख कर ये संख्या पता कर सकते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि तब अधिकारियों को यह पता नहीं चल पा रहा था की किन लोगों में कोरोना के लक्षण दिखाई देने शुरू हो चुके हैं। ये तो तभी पता चलता था जब कोई डॉक्टर के पास जाकर जांच कराता था।

संक्षेप में पीली डंडीयाँ आपको दिखाती हैं कि अधिकारियों को क्या पता था, और ग्रे डंडीयाँ दिखाती हैं कि वास्तविक संख्या क्या थी।

उदाहरण के तौर पर 21 जनवरी को, नए मामलों (पीली) की संख्या में विस्फोट दिखा - लगभग 100 नए मामले सामने आए। जबकि वास्तव में, उस दिन 1,500 नए मामले पैदा हुए थे, जो तेजी से बढ़ रहे थे। लेकिन अधिकारियों को यह पता नहीं था। उन्हें बस ये पता था कि अचानक इस नई बीमारी के 100 मामले सामने आए हैं।

दो दिन बाद, अधिकारियों ने वुहान शहर को बंद कर दिया। उस समय पकडे गए दैनिक नए मामलों की संख्या ~400 थी। इस संख्या पर ध्यान दें: उन्होंने एक दिन में सिर्फ 400 नए मामलों के साथ शहर को बंद करने का निर्णय लिया। हक़ीक़त में, उस दिन 2,500 नए मामले आए थे, लेकिन उनको ये पता ही नहीं चल पाया।

अगले दिन हुबेई प्रांत में 15 और शहर बंद कर दिए गए।

23 जनवरी तक, जब वुहान बंद हो जाता है, आप ग्रे डंडीयों को देख सकते हैं: यह तेजी से बढ़ रही थीं। असली संख्या में विस्फोट हो रहा था। जैसे ही वुहान बंद होता है, मामलों के बढ़ने की गति धीमी हो जाती है। 24 जनवरी को, जब अन्य 15 शहर बंद हो जाते हैं, तो असली मामलों की संख्या (ग्रे) एक पड़ाव पर स्थिर हो जाती है । दो दिन बाद, मामलों की संख्या अधिकतम तक पहुँच जाती है, और फिर ये नीचे जाने लगती है।

ध्यान दें कि आधिकारिक (पीले) मामले तब भी तेजी से बढ़ रहे थे - और 12 दिनों तक, ऐसा लग रहा था कि यह संख्या अभी भी विस्फोट कर रही थी। लेकिन ऐसा था नहीं। बात सिर्फ इतनी थी कि पहले से मौजूद मामलों के लक्षण मजबूत हो रहे थे, मरीज़ डॉक्टर के पास जा रहे थे, और उनकी पहचान करने वाला सिस्टम मजबूत हो चुका थ।

आधिकारिक और असली संख्या की यह अवधारणा महत्वपूर्ण है। इसे ध्यान रखें, हम बाद में इसपर वापस आएँगे।

चीन के बाकी क्षेत्रों में को केंद्र सरकार द्वारा तत्काल और कठोर कदम उठाये गए। उसका परिणाम नीचे ग्राफ में दिखता है:

इस ग्राफ में हर सपाट रेखा कोरोनोवायरस के मामलों वाला एक चीनी क्षेत्र है। हर क्षेत्र की संख्या में घातक विस्फोट होने की क्षमता थी, लेकिन भला हो जनवरी के अंत में लिए गए कठोर फ़ैसलों का, इससे पहले कि वयरस फैलता, उन सभी फ़ैसलों ने वायरस को रोक दिया।

इस बीच, दक्षिण कोरिया, इटली और ईरान के पास सीखने के लिए पूरा एक महीना था, पर ऐसा हुआ नहीं। वहां भी हुबेई प्रांत की तरह संख्या में घातक वृद्धि शुरू हुई। नतीजा ये हुआ की फरवरी के अंत से पहले उन्होंने हर दूसरे चीनी क्षेत्र को पीछे छोड़ दिया।

पूर्वी देश

दक्षिण कोरिया के मामलों में विस्फोट हुआ है, लेकिन क्या आपने सोचा है कि जापान, ताइवान, सिंगापुर, थाईलैंड या हांगकांग क्यों नहीं?

इन सभी देशों को 2003 में सार्स (SARS) ने हिट किया था, और इन सभी ने इससे सीख ली। उन्होंने सीखा कि ऐसी बीमारियाँ कितनी जल्दी वायरल और घातक हो जाती हैं, इसलिए उन्होंने इसे गंभीरता से लिया। यही कारण है कि उनके यहाँ संक्रमण बहुत पहले होने के बाद भी, संख्या में वैसा विस्फोट नहीं हुआ।

इन देशों की हमारे पास कोरोनोवायरस के फैलने की, सरकारों के खतरे को भाँपने की, और उसे रोकने की कहानियां हैं। हालाँकि, बाकी देशों के लिए परिदृश्य काफी अलग दिखता है।

इससे पहले कि हम उन कहानियों में जाएँ, दक्षिण कोरिया के बारे में एक नोट: यह देश शायद एक अपवाद है। यहाँ कोरोनावायरस पहले 30 मामलों तक नियंत्रित था। रोगी नंबर 31 एक सुपर-स्प्रेडर था जिसने इसे हजारों अन्य लोगों तक फैला दिया। ध्यान दें कि लोगों में वायरस के लक्षण काफी बाद में दिखने शुरू होते हैं। इस वजह से लोगों को शुरुआत में अपने संक्रमित होने का पता नहीं चलता और वो ना चाहते हुए भी वायरस को फैलने में मदद करते हैं। रोगी नंबर 31 के साथ भी ऐसा ही हुआ, जब तक अधिकारियों को इसका एहसास हुआ, तब तक वायरस नियंत्रण से बाहर हो चुका था। वे अब इस एक मामले के परिणाम को भुगत रहे हैं। हालांकि उनके प्रयासों का असर दिखता है: इटली पहले ही दक्षिण कोरिया को संख्या में पीछे कर चुका है, और ईरान इसे 10 मार्च तक पीछे कर देगा।

वाशिंटन स्टेट

आपने देखा पश्चिमी देशों के मामलों में कैसे वृद्धि हुई है, और अगले एक सप्ताह के पूर्वानुमान कितने ख़राब दिखते हैं। अब कल्पना कीजिए कि अगर वुहान या अन्य पूर्वी देशों में कठोर कदम नहीं उठाये जाते तो क्या होता? शायद हमें एक वीभत्स महामारी नज़र आती।

वाशिंगटन स्टेट, सैन फ्रांसिस्को खाड़ी क्षेत्र, पेरिस और मैड्रिड जैसे कुछ मामलों पर नजर डालते हैं।

वाशिंगटन स्टेट अमेरिका का वुहान है। यहाँ मामलों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। यह वर्तमान में 140 पर है।

लेकिन शुरुआत में यहाँ कुछ दिलचस्प हुआ। यहाँ मृत्यु दर बेतहाशा ऊपर थी। एक समय ऐसा भी था, जब राज्य में 3 मामले और एक मौत थी।

अन्य स्थानों के माध्यम से हम जानते हैं कि कोरोनावायरस की मृत्यु दर 0.5% और 5% (बाद में इस पर और चर्चा करेंगे) के बीच है। फिर वाशिंटन में मृत्यु दर 33% (3 में से एक) कैसे हो सकती है?

बाद में ऐसा पता चला कि यहाँ वायरस हफ्तों तक बिना पता चले फैल रहा था। ऐसा नहीं है कि सिर्फ 3 ही मामले थे। शायद अधिकारियों को सिर्फ 3 के बारे में पता था, और उनमें से एक की मृत्यु हो गई थी। क्योंकि मरीज़ की स्थिति जितनी गंभीर होती थी, उसके परीक्षण की संभावना उतनी ही अधिक होती थी।

यह चीन की पीली और ग्रे डंडीयों के जैसा है: यहाँ वे केवल पीली डंडीयों (आधिकारिक मामलों) के बारे में जानते थे और वह संख्या अच्छी दिखती थी: सिर्फ 3। लेकिन वास्तव में असली मामले सैकड़ों, हजारों में थे।

यह एक महत्त्वपूर्ण मुद्दा है: हम केवल आधिकारिक मामलों के बारे में जानते हैं, असली मामलों के बारे में नहीं। लेकिन हमें असली मामलों की संख्या जानने की जरूरत है। आप असली संख्या का अनुमान कैसे लगा सकते हैं? इसके दो तरीके हो सकते हैं : और मेरे पास दोनों के लिए एक मॉडल है। इसमें आप संख्याओं के साथ खेल भी सकते हैं (मॉडल की कॉपी के लिए सीधा लिंक)।

पहला तरीका - मौतों की संख्या के माध्यम से। यदि आपके क्षेत्र में कोरोना की वजह से मौत हुई है, तो आप इस तरीके का उपयोग कर सकते हैं जिससे कि मौजूदा मामलों की संख्या का सही अनुमान लगाया जा सके। हम जानते हैं कि एक मरीज़ को वायरस से संक्रमित होने से लेकर मरने तक औसतन ~ 17.3 दिन का समय लगता है। इसका मतलब है कि वाशिंगटन राज्य में 29 फ़रवरी को मरने वाला व्यक्ति शायद 12 फ़रवरी के आसपास संक्रमित हुआ होगा।

फिर आप इस बीमारी की मृत्यु दर जानते हैं। इस उदाहरण में, मैं 1% का उपयोग कर रहा हूं (हम बाद में इसका विवरण देंगे)। इसका मतलब है कि, 12 फ़रवरी के आसपास, क्षेत्र में लगभग ~ 100 मामले पहले से ही थे (जिनमें से केवल एक की मृत्यु 17.3 दिनों में हो गई)।

अब, कोरोनोवायरस के लिए औसत दोहरी करण समय (वह समय जो मामलों को औसतन दोगुना होने में लगता है) का उपयोग करें। यह 6.2 है - यानी की हर 6.2 दिन में मामले दुगने हो जाते हैं। इसका मतलब है कि, 17 दिन (जिसके बाद एक मृत्यु हुई) में मामले औसतन 3 (17/6 ) बार दुगने हो गए होंगे। 3 बार दोगुना होने का मतलब है पहले दिन की संख्या (100) को 8 (2 ^ 3) से गुना करना पड़ेगा। इसका मतलब है कि यदि आज एक मौत हुई है तो असलियत में 800 (8 X 100 ) संक्रमित मामले हैं - ये मानते हुए कि हम सभी मामलों की पहचान नहीं कर रहे हैं।

वाशिंगटन राज्य में आज 22 मौतें हुई हैं। ऊपर दी गयी गणना के अनुसार, आज वास्तविकता में लगभग 16,000 कोरोनावायरस के मामले होंगे। यह संख्या लगभग इटली और ईरान में आधिकारिक मामलों के जोड़ के बराबर है।

यदि हम विस्तार से देखें, तो हमें पता चलता है कि इनमें से 19 मौतें एक क्लस्टर (गुच्छे) से हुई थीं, जो शायद वायरस को व्यापक रूप से नहीं फैला सके। इसलिए अगर हम उन 19 मौतों को 1 मान कर चलें, तो राज्य में होने वाली कुल मौतें चार हैं। उस नंबर के साथ मॉडल को अपडेट करते हुए, हमें आज भी ~ 3,000 वास्तविक मामले मिलते हैं।

ट्रेवर बेडफोर्ड का यह दृष्टिकोण वायरस और उनके उत्परिवर्तन को देखते हुए वर्तमान मामलों की गणना का आकलन करता है।

An update about what we're able to infer about the Washington State #COVID19 outbreak from screening and viral sequencing by @UWVirology and @seattleflustudy. 1/12

— Trevor Bedford (@trvrb) March 10, 2020

निष्कर्ष यह है कि वाशिंगटन राज्य में फिलहाल लगभग 1,100 मामले होंगे।

इनमें से कोई भी दृष्टिकोण पूरी तरह सही नहीं है, लेकिन वे सभी एक ही ओर इशारा करते हैं - हम असली मामलों की संख्या नहीं जानते हैं, लेकिन इतना तय है कि यह आधिकारिक से बहुत अधिक है। यह सैकड़ों में नहीं है। यह हजारों में है, शायद और अधिक।

सैन फ्रांसिस्को खाड़ी क्षेत्र

8 मार्च तक सैन फ्रांसिस्को में कोई मृत्यु नहीं हुई थी। इससे यह जानना मुश्किल हो गया कि वहां कितने असली मामले थे। आधिकारिक तौर पर, वहाँ 86 मामले थे। लेकिन अमेरिका काफी कम टेस्टिंग कर रहा है क्योंकि वहां अभी पर्याप्त टेस्टिंग किट नहीं हैं। उन्होंने अपनी खुद की टेस्ट किट बनाने का फैसला किया, पर बाद में पता चला की वो ठीक से काम नहीं कर रही थी।

ये 3 मार्च तक विभिन्न देशों में किए गए टेस्टिंग की संख्या थी:

तुर्की, जहाँ कोरोनोवायरस के कोई मामले नहीं थे, अमेरिका की तुलना में प्रति निवासी 10 गुना ज़्यादा टेस्ट किये। आज स्थिति ज्यादा बेहतर नहीं है, अमेरिका में ~ 8,000 टेस्ट किये गए हैं, जिसका अर्थ है कि वहां ~ 4,000 लोगों का टेस्ट किया गया है

यहां आप आधिकारिक मामलों के एक हिस्से का उपयोग वास्तविक मामलों के लिए कर सकते हैं। पर ये कैसे तय करें कि कौन सा हिस्सा? सैन फ्रांसिस्को में हर उस व्यक्ति का परीक्षण किया जा रहा था जो कहीं यात्रा कर चुके थे या किसी यात्री के संपर्क में थे, जिसका अर्थ है कि वे यात्रा-संबंधी अधिकांश मामलों को जानते थे, लेकिन उन मामलों के बारे में नहीं जो सामुदायिक प्रसार (समुदाय में एक दूसरे से फैलना, बिना किसी यात्रा के) से फैले थे । सामुदायिक प्रसार बनाम यात्रा-संबंधी मामलों के विश्लेषण से, हम जान सकते हैं कि वास्तविक मामले कितने हैं।

मैंने दक्षिण कोरिया के लिए इस अनुपात को देखा, जिसमें बहुत अच्छा डेटा है। जब तक उनके पास 86 मामले थे, तब तक वहां सामुदायिक प्रसार के मामले 86% थे (86 मामले और 86% महज एक संयोग हैं)।यानि की यात्रा सम्बन्धी मामलों का प्रतिशत सिर्फ 14% था।

उस संख्या के साथ, आप सही मामलों की संख्या की गणना कर सकते हैं। यदि खाड़ी क्षेत्र में आज 86 मामले हैं (जो कि सिर्फ यात्रा सम्बन्धी हैं ), तो संभावना है कि सही संख्या लगभग 600 है (600 का 14% = 86 )।

फ्रांस एवं पेरिस

फ्रांस ने आज 1,400 मामलों और 30 मौतों का दावा किया है। ऊपर बताये गए दोनों तरीकों का उपयोग करके, आपके पास मामलों की एक रेंज आ जाती है: 24,000 और 140,000 के बीच

फ्रांस में आज कोरोनोवायरस के वास्तविक मामलों की सही संख्या 24,000 से 140,000 के बीच होने की संभावना है।

मैं फिर से दोहराना चाहता हूं: फ्रांस में वास्तविक मामलों की संख्या आधिकारिक संख्या की तुलना में दस से सौ गुना अधिक सकती है।

विश्वास नहीं हो रहा? आइए फिर से वुहान के ग्राफ को देखें।

यदि आप 22 जनवरी तक की पीली डंडीयों को जोड़ते हैं, तो आपको 444 मामले मिलते हैं। अब सभी ग्रे डंडीयों को जोड़ें। आपको लगभग 12,000 मामले मिलते हैं। इसका मतलब हुआ कि जब वुहान को लग रहा था कि उनके यहाँ 444 मामले हैं, तो यह संख्या असल में 27 गुना अधिक थी। अगर फ्रांस को लगता है कि उसके पास 1,400 मामले हैं, तो यह संख्या आराम से हजारों में हो सकती है।

पेरिस में भी यही गणित लागू होता है। शहर के अंदर ~30 आधिकारिक मामलों के साथ, मामलों की सही संख्या सैकड़ों, शायद हजारों में होने की संभावना है। इले-डी-फ्रांस क्षेत्र में 300 आधिकारिक मामलों के साथ, क्षेत्र में कुल वास्तविक मामले हजारों से अधिक हो सकते हैं।

स्पेन एवं मेड्रिड

फ्रांस के समान ही स्पेन की संख्या बहुत अधिक है (1,200 बनाम 1,400, और दोनों में 30 मौतें हैं)। इसका मतलब है कि वही नियम यहाँ भी लागू होते हैं: स्पेन शायद पहले से ही 20k वास्तविक मामलों के ऊपर जा चुका है।

600 आधिकारिक मामलों और 17 मौतों के साथ कोमुनिडाड डी मैड्रिड क्षेत्र में, मामलों की सही संख्या 10,000 और 60,000 के बीच होने की संभावना है।

यदि इन आंकड़ों को पढ़कर आपको लगता है: “असंभव, यह सच नहीं हो सकता !”, तो बस यह सोचें: इन संख्याओं पर वुहान ने लॉकडाउन लागू कर दिया था।

और अगर आप अपने आप से कह रहे हैं: “ठीक है, हुबेई ऐसा सिर्फ एक क्षेत्र है”, मैं आपको याद दिला दूं कि यहाँ लगभग 6 करोड़ लोग हैं - यह संख्या स्पेन की आबादी से भी बड़ी है और लगभग फ्रांस की आबादी के बराबर है।

क्या होगा जब कोरोनवायरस के इतने मामले हमारे सामने आएंगे?

कोरोनावायरस यहां आ चुका है - यह छिपा हुआ है, और तेजी से बढ़ रहा है।

जब यह आक्रमण करेगा तो हमारे देशों में क्या होगा? यह जानना आसान है, क्योंकि हमारे पास पहले से ही कई उदाहरण हैं। स्थिति को समझने के लिए हुबेई और इटली सबसे अच्छे उदाहरण हैं।

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने कोरोना की मृत्यु दर को 3.4% बताया है - इसका मतलब है अगर 100 लोग कोरोनोवायरस से संक्रमित होते हैं तो उनमे से 3.4 की मृत्यु हो जाती है । यह संख्या अभी तक के संदर्भ से बाहर है इसलिए इसे थोड़ा और समझते हैं।

मृत्यु दर वास्तव में देश और उसकी परिस्थिति पर निर्भर करता है। यह सबसे कम दक्षिण कोरिया में 0.6% था और सबसे ज़्यादा ईरान में 4.4%। पर यह आंकड़ा वास्तव में कितना है? हम इसका पता लगाने के लिए एक ट्रिक का उपयोग कर सकते हैं।

मृत्यु दर की गणना करने के दो तरीके हैं:

पहले वाले तरीके से हमारा आकलन कम होने की संभावना है, क्योंकि बहुत सारे मौजूदा मामलों के मृत्यु में बदलने की संभावना है। दूसरे तरीके का आकलन अत्यधिक हो सकता है, क्योंकि यह संभावना है कि मृत्यु, रिकवरी की तुलना में जल्दी हो जाती है।

मैंने यह देखने की कोशिश की कि दोनों तरीकों के आंकड़े समय के साथ कैसे विकसित होते हैं। जब सभी मामले अपने-अपने अंत तक पहुँच जायेंगे तो ये सभी संख्याएँ एक ही संख्या में परिवर्तित हो जाएंगी। इसलिए यदि आप पिछले रुझानों के भविष्य का प्रोजेक्शन निकालते हैं, तो आप इस बात का अनुमान लगा सकते हैं कि अंततः मृत्यु दर क्या होगी।

यह दर हमें डेटा में दिखती है। चीन की मृत्यु दर अब 3.6% से 6.1% के बीच है। यदि आप भविष्य का प्रोजेक्शन निकालते हैं, तो ऐसा लगता है कि यह ~ 3.8% से 4% के बीच ख़त्म होगी। यह वर्तमान अनुमान से दोगुना है, और आम फ्लू से 30 गुना बदतर है।

हालांकि यह आकलन दो पूरी तरह से अलग परिस्थितियों से बना है: हुबेई और बाकी चीनी क्षेत्र।

हुबेई की मृत्यु दर संभवतः 4.8% हो जाएगी। इस बीच, शेष चीन के लिए, यह संभवत: ~0.9% में परिवर्तित हो जाएगी:

मैंने ईरान, इटली और दक्षिण कोरिया की संख्याओं के लिए भी ग्राफ बनाये - यही वह देश हैं जहाँ इतनी मौतें हो चुकी हैं कि इनके डेटा को प्रासंगिक माना जा सकता है :

ईरान और इटली की मौतें / कुल मामले, दोनों 3% -4% की सीमा में परिवर्तित हो रहे हैं। मेरा अनुमान है कि उनके आंकड़े इसी के आसपास खत्म होंगे।

दक्षिण कोरिया सबसे दिलचस्प उदाहरण है, क्योंकि वहां ये दोनों नंबर बिलकुल अलग हैं: मौतें / कुल मामले केवल 0.6% हैं, लेकिन मौतें / कुल समाप्त मामले खतरनाक तौर पर 48% है। मेरा मानना है कि वहां कुछ अनोखी चीजें हो रही हैं। पहला, वे हर किसी का परीक्षण कर रहे हैं (इतने मौजूदा मामलों के साथ, मृत्यु दर कम लगती है), और मामले अधिक समय तक मौजूद रहते हैं (इसलिए तुलनात्मक तौर पर मृत्यु वाले मामले और जल्दी ख़त्म होते हैं)। दूसरा, उनके अस्पतालों बहुत जगह है (चार्ट 17. बी देखें)। ऐसे अन्य कारण भी हो सकते हैं जो हम अभी नहीं जानते। हाँ, ये ज़रूर है कि मृत्यु दर शुरू से अब तक लगभग 0.5% के आसपास ही है - जिससे ये पता चलता है की आगे भी यह लगभग इतनी ही रहेगी - यह संख्या वहां की स्वास्थ्य व्यवस्था और अच्छे आपदा प्रबंधन से बहुत प्रभावित है।

अंतिम प्रासंगिक उदाहरण ‘डायमंड प्रिंसेस क्रूज़’ है जहाँ 706 लोग संक्रमित हुए, 6 मौतें हुई और 100 मरीज़ पूरी तरह ठीक हुए हैं। यहाँ मृत्यु दर 1% और 6.5% के बीच होगी।

ध्यान दें कि मृत्यु दर पर प्रत्येक देश की औसत उम्र का भी प्रभाव पड़ेगा: चूंकि वृद्ध लोगों के लिए मृत्यु दर बहुत अधिक है, जापान जैसे बड़ी उम्र की आबादी वाले देशों में यह अधिक होगी। नाइजीरिया जैसे छोटी उम्र वालों के देश में यह कम होगी। इसपर विभिन्न मौसमी कारणों का भी प्रभाव पड़ सकता है जैसे की आर्द्रता और तापमान। लेकिन अभी भी ये स्पष्ट नहीं है कि ये संक्रमण और मृत्यु दर को कैसे प्रभावित करेंगे।

हम ये निष्कर्ष निकाल सकते हैं:

  1. जिन देशों ने तैयारी की है वहां मृत्यु दर ~ 0.5% (दक्षिण कोरिया) से 0.9% (चीन के बाकी प्रांत) तक दिखाई देगी।
  2. जो देश अत्यधिक मामलों की चपेट में आएंगे वहां मृत्यु दर 3% - 5% के बीच होगी।

दूसरे तरीके से कहें तो जो देश तेजी से करवाई करेंगे, वे मौतों की संख्या को करीब दस गुना कम कर सकते हैं। और यह सिर्फ मृत्यु दर की बात है। तेजी से करवाई करने से मामलों की संख्या में भी काफी कमी आती है। तो फिर इसमें किसी संदेह की गुंजाइश नहीं है कि तेज़ कार्रवाई कितनी ज़रूरी है।

तेजी से कार्य करने वाले देश मौतों की संख्या में कम से कम दस गुना कमी ला सकते हैं।

तो फिर तैयार रहने के लिए एक देश क्या करना चाहिए?

सिस्टम पर कितना दबाव क्या होगा?

लगभग 20% मामलों में अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता पड़ती है, 5% मामलों में गहन चिकित्सा इकाई (ICU) की आवश्यकता होती है, और लगभग 2.5% को बहुत गहन सहायता की आवश्यकता होती है, जिसमें वेंटिलेटर या ECMO (एक्स्ट्रा-कॉर्पोरल ऑक्सीजनेशन) जैसी चीज़ें शामिल हैं।

समस्या यह है कि वेंटिलेटर और ईसीएमओ जैसी वस्तुओं की खरीदारी या उत्पादन आसान नहीं है। उदाहरण के तौर पर कुछ साल पहले तक, अमेरिका में कुल 250 ECMO मशीनें थीं।

इसलिए यदि अचानक 1,00,000 लोग संक्रमित होते हैं, तो उनमें से कई टेस्टिंग कराना चाहेंगे। लगभग 20,000 को अस्पताल में भर्ती करने की आवश्यकता होगी, 5,000 को आईसीयू की आवश्यकता होगी, और 1,000 को गहन मशीनों की आवश्यकता होगी जो हमारे पास पर्याप्त है ही नहीं (यहाँ अमेरिका की बात हो रही है)। और यह गंभीर स्थिति सिर्फ 1,00,000 मामले मानने के बाद है।

यह स्थिति तो मास्कों की कमी जैसे मुद्दों के बारे में सोचे बिना है। अमेरिका जैसे देश के पास अपने स्वास्थ्य कर्मियों की ज़रूरत का सिर्फ 1% मास्क उपलब्ध है, (1.2 करोड़ N95 और 30 करोड़ सर्जिकल मास्क उपलब्ध हैं, जबकि 350 करोड़ मास्कों की आवश्यकता है)। यदि बहुत सारे मामले एक साथ आ गए, तो ये मास्क सिर्फ 2 सप्ताह चल पाएंगे

जापान, दक्षिण कोरिया, हांगकांग या सिंगापुर, चीन (हुबेई के अलावा) जैसे देशों ने उचित तैयारी की जिसकी वजह से मरीज़ों की उचित देखभाल हो पायी।

लेकिन बाकी पश्चिमी देश हुबेई और इटली की दिशा में जा रहे हैं। तो वहां क्या हो रहा है? आइये देखें।

एक चरमराई हुई स्वास्थ्य व्यवस्था कैसी दिखती है?

हुबेई और इटली की कहानी डरावने तौर पर एक जैसी प्रतीत हो रही है। हुबेई ने दस दिनों में दो अस्पताल बनाए, लेकिन तब भी, स्वास्थ्य व्यवस्था की हालत ख़राब थी।

दोनों ही जगह अस्पतालों में मरीज़ों का सैलाब आ गया था। उन्हें कहीं भी रखा जा रहा था - कहीं हॉल में तो कहीं वेटिंग रूम में।

From a well respected friend and intensivist/A&E consultant who is currently in northern Italy:
1/ ‘I feel the pressure to give you a quick personal update about what is happening in Italy, and also give some quick direct advice about what you should do.

— Jason Van Schoor (@jasonvanschoor) March 9, 2020

स्वस्थ्य कर्मियों के लिए प्रोटेक्टिव गियर पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध नहीं है। इसकी वजह से उन्हें घंटों एक ही गियर में काम करना पड़ता है। फलस्वरूप, वे संक्रमित क्षेत्रों को घंटों तक नहीं छोड़ पाते। जब तक वे उन क्षेत्रों से निकल पाते हैं, तब तक वे बेहद थक जाते हैं, बिखर जाते हैं, डी-हाइड्रेट हो जाते हैं। अब शिफ्टों में काम करने का भी विकल्प नहीं बचा है। मरीज़ों की संख्या को देखते हुए रिटायर्ड स्वास्थ कर्मियों को वापस बुलाना पड़ता है। जिन लोगों को नर्सिंग के बारे में कोई जानकारी नहीं है, उन्हें महत्वपूर्ण भूमिकाओं को पूरा करने के लिए रात भर में ही प्रशिक्षित कर दिया जाता है। हर कोई, हर वक़्त अलर्ट पर रहता है।

Francesca Mangiatordi, an Italian nurse that crumbled in the middle of the war with the Coronavirus

ये तब तक चलता है जब तक स्वास्थ कर्मी ख़ुद बीमार नहीं हो जाते। ऐसा बहुत बार होता है, क्योंकि वे पर्याप्त प्रोटेक्टिव गियर के बिना वायरस के निरंतर संपर्क में रहते हैं। बीमार पड़ने पर उन्हें 14 दिनों के लिए एकांत में रहना होता है और इस दौरान वे मरीज़ों की कोई मदद नहीं कर पाते। अगर भाग्य अच्छा हुआ, तो हम 2 सप्ताह तक उनकी विशेषज्ञता खो देते हैं और अगर भाग्य बुरा हुआ तो सबसे बुरी स्थिति होती है - हम उन्हें हमेशा के लिए खो देते हैं।

सबसे खराब स्थिति आईसीयू में होती है, जब मरीज़ों को वेंटिलेटर या ईसीएमओ साझा करने की आवश्यकता होती है। ये मशीनें साझा करना असंभव हैं, इसलिए स्वास्थ्य कर्मियों को यह तय करना पड़ता है कि कौन सा रोगी इसका उपयोग करेगा और कौन सा नहीं। इसका सीधा मतलब है की उन्हें ये तय करना पड़ता है कि, कौन बचेगा और कौन नहीं।

“कुछ दिनों के बाद, हमें चुनना पड़ता है […] हर किसी को इंट्यूबेटेड (किसी शारीरिक अंग में ट्यूब लगाना ) नहीं किया जा सकता है। हम उम्र और स्वास्थ्य की स्थिति के आधार पर निर्णय लेते हैं।” - क्रिस्टियन सालारोली, इतालियन एमडी।

Medical workers wear protective suits to attend to people sickened by the novel coronavirus, in the intensive care unit of a designated hospital in Wuhan, China, on Feb. 6. (China Daily/Reuters), via Washington Post

यही वो कारण हैं जो मृत्यु दर को ~ 0.5% से बढ़ाकर ~ 4% तक ले जाते हैं। यदि आप चाहते हैं कि आपका शहर या आपका देश भी 4% का हिस्सा हो (ना कि 0.5%), तो आज आप निश्चिंत बैठे रहें - कुछ भी ना करें।

Satellite images show Behesht Masoumeh cemetery in the Iranian city of Qom. Photograph: ©2020 Maxar Technologies. Via The Guardian and the The New York Times.

हम क्या कर सकते हैं?

फ्लैटन द कर्व (Flatten the Curve)

कोरोनावायरस अब एक महामारी का रूप ले चुका है। इसे समाप्त नहीं किया जा सकता लेकिन हम इसके प्रभाव को कम करने में ज़रूर मदद कर सकते हैं।

कुछ देशों ने इस मामले में शानदार उदाहरण प्रस्तुत किया है। सबसे अच्छा उदाहरण ताइवान का है, जो चीन के काफी करीब है पर फिर भी वहां आज 50 से कम मामले हैं। उन्होंने बहुत जल्दी रोकथाम पर केंद्रित ठोस कदम उठाये थे। यह हालिया रिसर्च पेपर उन सभी उपायों के बारे में बताता है।

ताइवान इस महामारी को रोकने में सक्षम था, लेकिन अधिकांश देशों में इस विशेषज्ञता का अभाव था और इसलिए रोकथाम नहीं हो पायी। अब उनका ध्यान इसके प्रभाव को कम करने पर है। उन्हें इस वायरस को जितना हो सके कम असरदार बनाने की ज़रूरत है।

यदि हम संक्रमण को जितना हो सके कम कर देते हैं, तो हमारी स्वास्थ्य व्यवस्था मामलों को बेहतर ढंग से संभाल पायेगी, जिससे मृत्यु दर कम होगी। हमें ये सुनिश्चित करना है कि कुल मामले कम समय की बजाय एक लंबा समय लें पनपने के लिए। उदाहरण के तौर पर अगर देश में 1000 मामले होने हैं तो वो 20 दिन की बजाय 50 दिनों में हो ताकि हमारी चिकित्सा व्यवस्था उन्हें संभाल पाए। अगर हम ऐसा कर पाते हैं तो हम एक ऐसे बिंदु पर पहुँचेंगे, जहां शेष समाज को टीका (वैक्सीन) लगाने का समय मिल पाएगा। इससे जोखिम पूरी तरह से समाप्त हो जाएगा। इसलिए हमारा लक्ष्य कोरोनावायरस संक्रमण को खत्म करना नहीं, उसे जितना हो सके विलम्बित करना है।

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आप ऊपर ग्राफ में देख सकते हैं की कैसे अगर हम मामलों को इतना विलम्बित कर दें की वो संक्रमित होने में ज़्यादा से ज़्यादा समय लें , तो सारे ही मामले हमारी स्वास्थ्य व्यवस्था की क्षमता (नारंगी रेखा) के नीचे आ जाते हैं। इसी को हम फ्लैटन द कर्व कहते हैं। जितना अधिक हम मामलों को विलम्बित करते हैं, उतने ही बेहतर तरीके से स्वास्थ्य सेवा कार्य कर पायेगी और मृत्यु दर कम होगी। और इससे ज़्यादा आबादी संक्रमण की बजाय टीकाकरण (vaccination) का हिस्सा बनेगी।

हम फ्लैटन द कर्व कैसे कर सकते हैं? जवाब है सोशल डिस्टेंसिंग

सोशल डिस्टेंसिंग

सोशल डिस्टेंसिंग एक बहुत ही साधारण सी चीज़ है जो बेहद कारगर है और इसे हम आसानी से कर भी सकते हैं।

यदि हम वुहान ग्राफ पर वापस जाएँ, तो हम देखेंगे कि जैसे ही लॉकडाउन हुआ, मामलों में गिरावट आई। ऐसा इसलिए है क्योंकि जब लोग एक दूसरे से मिलते नहीं हैं तो वायरस फैलता नहीं है।

आज सभी वैज्ञानिक मानते हैं कि किसी के खाँसने पर यह वायरस 2 मीटर (6 फीट) तक फैल सकता है। वरना खाँसी से उत्पन्न बूंदें ज़मीन पर गिर जाती हैं और किसी को संक्रमित नहीं कर पाती।

इसके अलावा सबसे बुरा संक्रमण सतहों के माध्यम से फैलता है - धातु, मिट्टी और प्लास्टिक जैसी विभिन्न सतहों पर वायरस 9 दिनों तक जीवित रहता है। इसका मतलब है कि दरवाज़ों की कुण्डी, टेबल या लिफ्ट के बटन जैसी चीजें ख़तरनाक तरीके से संक्रमण फैला सकती हैैं।

वाकई इस संक्रमण को रोकने का एकमात्र कारगर तरीका सोशल डिस्टेंसिंग ही है यानी कि लोगों का जितना हो सके उतने लंबे समय तक घर पर रहना, जब तक संक्रमण ख़त्म न हो जाए।

यह तरीका करीब 100 साल पहले कारगर सिद्ध हो चुका है - 1918 में फ्लू की महामारी के दौरान।

1918 की फ्लू की महामारी से शिक्षा

यह ग्राफ अमेरिका के दो प्रांतों में महामारी के समय की मृत्यु दर दर्शाता है - फिलाडेल्फिया (काली ठोस रेखा) एवं सेंट लुइस (काली बिंदुओं वाली रेखा)। आप देख सकते हैं कि फिलाडेल्फिया ने देरी की जिससे मृत्यु दर का शिखर कितना ऊपर चला गया। सेंट लुइस से इसकी तुलना करें और देखें कि वहां ये शिखर कितना कम था।

आइए एक और प्रांत - डेनवर को देखते हैं, जहाँ रोकथाम की गयी और फिर उन्हें ढीला कर दिया गया। इस वजह से पहले दो प्रांतों के मुक़ाबले उनके ग्राफ में दो शिखर नज़र आते हैं।

यदि हर प्रांत को मिलाकर देखें तो हम पाते हैं:

ये चार्ट दिखाता है कि अमेरिका में 1918 फ्लू में किस शहर में कितनी अधिक मौतें हुई थीं बनाम उस शहर में कितनी तेजी से कदम उठाये गए थे। उदाहरण के लिए, सेंट लुइस जैसे शहर में पिट्सबर्ग से 6 दिन पहले कदम उठाये गए, जिससे वहां प्रति नागरिक आधे से भी कम मौतें हुईं। औसतन, 20 दिन पहले उपाय करने से मृत्यु दर आधी हो गई।

इटली ने आखिरकार यह समझ लिया है। उन्होंने पहले लोम्बार्डी प्रांत रविवार को बंद किया, और उसके एक दिन बाद, यानी सोमवार को, उन्हें अपनी ग़लती का एहसास हुआ और उन्होंने पूरे देश को बंद करने का फैसला किया।

उम्मीद है, हम आने वाले दिनों में इसके परिणाम देखेंगे। हालांकि, इसे देखने में एक से दो सप्ताह लगेंगे। वुहान के ग्राफ को याद रखें: लॉकडाउन की घोषणा और आधिकारिक मामलों (पीली डंडियाँ) के कम होने के बीच 12 दिनों का अंतर था।

राजनेता सोशल डिस्टेंसिंग कायम करने में कैसे मदद कर सकते हैं?

आज राजनेता खुद से जो सवाल पूछ रहे हैं, वह यह नहीं है कि क्या उन्हें कुछ करना चाहिए, बल्कि यह है कि उचित कार्रवाई कैसे की जाए।

एक महामारी को नियंत्रित करने के कई चरण होते हैं। वह प्रत्याशा (पहले से अंदेशा रखना) के साथ शुरू और उन्मूलन के साथ समाप्त होता है। लेकिन आज अधिकांश विकल्पों के लिए बहुत देर हो चुकी है। मामलों का स्तर जहाँ पहुँच चुका है, वहां से राजनेताओं के सामने दो ही विकल्प हैं - रोकथाम और शमन (संक्रमण को धीमा करना यानी कि फ्लैटन द कर्व )।

रोकथाम

रोकथाम से यह सुनिश्चित हो रहा है कि सभी मामलों की पहचान हो, उनको नियंत्रित किया जाए और उन्हें भीड़ से अलग किया जाए। अंग्रेज़ी में isolation और quarantine शब्द इसके लिए प्रचलन में हैं। सिंगापुर, हांगकांग, जापान और ताइवान इसे बहुत अच्छे से कर रहे हैं: उन्होंने बहुत जल्दी देश में आने वाले लोगों को सीमित किया, संक्रमित लोगों की पहचान की, फिर तुरंत उन्हें बाकी लोगों से अलग (isolate) किया। ये देश अपने स्वास्थ्य कर्मियों की सुरक्षा के लिए भारी प्रोटेक्टिव गियर का उपयोग करते हैं, उनके सभी संपर्कों को ट्रैक करते हैं और उन्हें अलग करते हैं। अगर संक्रमण के शुरूआती दौर में ही आप ये कर लें तो यह बहुत अच्छी तरह से काम करता है।इसे जितनी जल्दी कर लिया जाए , अर्थव्यवस्था पर उतना ही कम असर पड़ता है।

हमने पहले ही ताइवान के दृष्टिकोण को देखा है। लेकिन चीन का उदाहरण भी अच्छा है। जिस स्तर पर उन्होंने कार्रवाई की है, वह सोच से परे है। उदाहरण के लिए, उन्होंने प्रत्येक संक्रमित व्यक्ति पर नज़र रखने के लिए 5-5 लोगों की 1,800 टीमें बनाई। इन टीमों ने संक्रमित और उनके संपर्क में आने वाले लोगों की पहचान की और उन सबको आइसोलेट (अलग) किया। इस तरह उन्होंने एक अरब से ज़्यादा की आबादी वाले देश में वायरस पर काबू पाया।

पश्चिमी देशों ने ऐसा नहीं किया है। और अब बहुत देर हो चुकी है। हाल ही में अमेरिका ने घोषणा की कि यूरोप से ज़्यादातर यात्रा पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। पर ये उन्होंने तब किया जब वहां वैसे ही इतने मामले सामने आ चुके हैं जितने हुबई प्रांत में लौकडाउन होने के पहले थे। और ये मामले तीव्र गति से बढ़ रहे हैं। क्या हम मान सकते है कि ये कारगर होगा? शायद हाँ, क्योंकि हम वुहान में यात्रा प्रतिबंध का असर देख सकते हैं।

यह चार्ट हमे दिखाता है कि वुहान यात्रा प्रतिबंध ने महामारी के फैलाव को कैसे विलम्बित किया। चार्ट में गोलों का आकार दैनिक मामलों की संख्या दर्शाते हैं। सबसे ऊपर की पंक्ति उस स्थिति को दिखाती है जब कोई प्रतिबंध नहीं लगाया जाता है। नीचे की दो पंक्ति उन स्थितियों को दिखाती है जब क्रमशः 40% और 90% यात्रा पर प्रतिबंध लगा दिया जाता है। यह महामारी के विशेषज्ञों द्वारा बनाया गया एक मॉडल है। हम निश्चित रूप से इसपर कुछ नहीं कह सकते।

यदि आप इन पंक्तियों में ज़्यादा अंतर नहीं देख पा रहे, तो आप सही हैं। इस मॉडल में महामारी के विकास में हो रहे किसी भी परिवर्तन को देखना बहुत कठिन है।

शोधकर्ताओं का अनुमान है कि वुहान में यात्रा प्रतिबंध ने चीन में महामारी के फैलाव को केवल 3 से 5 दिनों तक विलम्बित किया।

फिर शोधकर्ताओं ने सोचा कि ट्रांसमिशन (फैलाव) कम करने का क्या असर होगा?

इस चार्ट में शीर्ष ब्लॉक वही है जो आपने पिछले चार्ट में देखा था। दो अन्य ब्लॉक ट्रांसमिशन दरों में कमी दिखाते हैं। यदि सोशल डिस्टेंसिंग की वजह से संचरण दर (संक्रमण के फैलने की दर) 25% नीचे जाती है, तो यह फ्लैटन द कर्व के लक्ष्य को प्राप्त करती है। इससे मृत्यु दर की शिखर पूरे 14 सप्ताह तक विलम्बित होती है। यदि संक्रमण दर को 50% तक कम करें तो एक तिमाही तक महामारी शुरू भी नहीं हो सकती।

यूरोपीय यात्रा पर अमेरिकी प्रशासन का प्रतिबंध अच्छा है: इसने शायद हमें कुछ घंटे, या एक-दो अतिरिक्त दिन दिए हैं। पर ज्यादा नहीं। यह पर्याप्त नहीं है। ये नियंत्रण तरीके हैं, जबकि आवश्यकता शमन (संक्रमण को धीमा करना) की है।

एक बार जब आबादी में सैकड़ों या हजारों मामले हो जाते हैं, तो उन्हें बढ़ने से रोकना , मौजूदा मामलों पर नज़र रखना और उनके संपर्क में आने वालों को अलग रखना पर्याप्त नहीं होता। फिर अगले स्तर की आवश्यकता होती है - शमन।

शमन

शमन के लिए भारी सोशल डिस्टेंसिंग की आवश्यकता होती है। वायरस को रोकने के लिए लोगों को ट्रांसमिशन दर (R) ~ 2–3 से कम कर 1 तक लाने की जरूरत है, ताकि अंततः वायरस समाप्त हो सके।

इसके लिए बड़े पैमाने पर कंपनियों, दुकानों, स्कूलों, भीड़-भाड़ वाले यातायात के साधनों को बंद करना पड़ेगा। जितनी ख़राब स्थिति होगी, सोशल डिस्टेंसिंग उतने बड़े स्तर पर करनी होगी। हम जितनी जल्दी कठोर कदम उठा लेंगे, उतने कम समय के लिए इन कठोर कदमों को लागू रखना पड़ेगा। इससे संक्रमण के जो नए मामले पनप रहे हैं, उनकी पहचान करना आसान हो जायेगा और ये कम से कम लोगों तक फैल पाएगा।

यही वुहान को भी करने की ज़रूरत थी। इटली को भी ये करने के लिए बाध्य होना पड़ा। क्योंकि जब वायरस नियंत्रित से बाहर हो जाता है, तो इसे फैलने से रोकने के लिए सभी संक्रमित क्षेत्रों को लॉकडाउन (बंद) करना ही एकमात्र उपाय है।

हजारों आधिकारिक मामले - और दसियों हज़ारों वास्तविक मामलों के साथ - ईरान, फ्रांस, स्पेन, जर्मनी, स्विट्जरलैंड या अमेरिका जैसे देशों को भी यही करने की आवश्यकता है।

कुछ कंपनियों में लोग घर से काम कर रहे हैं। ये एक शानदार कदम है। कुछ बड़े सामूहिक कार्यक्रमों को रोका जा रहा है। कुछ प्रभावित क्षेत्र खुद को अलग कर रहे हैं।

ये सभी उपाय संक्रमण की गति को धीमा करेंगे। वे संचरण दर को 2.5 से घटाकर 2.2 कर देंगे, हो सकता है 2 तक भी ले आएं। लेकिन वे इसे लंबे समय तक 1 से नीचे रखने के लिए पर्याप्त नहीं हैं - जो कि महामारी को रोकने के लिए बेहद ज़रूरी है। और अगर हम ऐसा नहीं कर पाते, तो हमें इसे जितना हो सके 1 के करीब लाना पड़ेगा ताकि हम फ्लैटन द कर्व कर सके।

तो अब सवाल ये खड़ा होता है कि संचरण दर को कम करने के लिए हम क्या कर सकते हैं? इसकी सूची इटली ने हमारे सामने रखी है:

फिर दो दिन बाद, उन्होंने कहा: “नहीं, वास्तव में, आपको उन सभी व्यवसायों को बंद करने की आवश्यकता है जो महत्वपूर्ण नहीं हैं। इसलिए अब हम सभी व्यावसायिक गतिविधियों, कार्यालयों, कैफे और दुकानों को बंद कर रहे हैं। केवल परिवहन, फार्मेसियों, किराने का सामान खुला रहेगा।”

एक दृष्टिकोण ये भी है की धीरे-धीरे इन उपायों की सख्ती को बढ़ाया जाए। दुर्भाग्य से, इससे वायरस को फैलने के लिए कीमती समय मिलता है। यदि आप सुरक्षित रहना चाहते हैं, तो ये वुहान की तरह करना पड़ेगा। लोग अभी शिकायत कर सकते हैं, लेकिन वे बाद में आपको धन्यवाद देंगे।

बिजनेस लीडर सोशल डिस्टेंसिंग में कैसे योगदान दे सकते हैं?

यदि आप एक बिज़नेस लीडर हैं और जानना चाहते हैं कि आपको क्या करना चाहिए, तो आपके लिए सबसे अच्छा संसाधन स्टेइंग होम क्लब है।

यह सोशल डिस्टेंसिंग को लागू करने की नीतियों की सूची है जो अमेरिकी तकनीकी कंपनियों द्वारा बनाई गई हैं। इसमें अब तक 328 नीतियों का उल्लेख है।

उनमें प्रमुख तौर पर घर से कार्य करना, यात्राओं एवं आयोजनों को प्रतिबंधित या सीमित करना है।

और भी चीजें हैं जो हर कंपनी को निर्धारित करनी चाहिए, जैसे कि दैनिक या प्रति घंटे के आधार पर काम करने वाले श्रमिकों को कैसे संभाले, ऑफिसों को खुला रखें या नहीं, इंटरव्यू कैसे आयोजित करें, कैफेटेरिया/ भोजनालय का क्या करें, इत्यादि।

ये सारे कदम हमें कब उठाने चाहिए?

यह संभव है कि अब तक आप मेरी हर बात से सहमत हों, और सोच रहे हों कि ये सब कब किया जाए। दूसरे तरीके से कहें तो प्रत्येक कठोर कदम उठाने के लिए हमारे पास क्या ट्रिगर होना चाहिए।

ट्रिगर के लिए रिस्क-आधारित मॉडल

इसे हल करने के लिए, एक मॉडल (सीधे कॉपी करने के लिए लिंक) बनाया गया है।

यह आपको अपने क्षेत्र में संभावित मामलों की संख्या का आकलन करने में मदद करता है, आपके कर्मचारियों के पहले से ही संक्रमित होने की संभावना बताता है, इस संभावना का समय के साथ विकास बताता है, और यह भी की इस संभावना के आधार पर आपको ऑफिस खुला रखना चाहिए या नहीं।

इस मॉडल के अनुसार :

यह मॉडल कंपनी और कर्मचारी जैसे लेबल का उपयोग करता है, लेकिन इसी मॉडल का उपयोग किसी और संस्था के लिए भी किया जा सकता है जैसे स्कूल, यातायात इत्यादि। मान लीजिये आपके पास पेरिस में 50 कर्मचारी हैं और वे सभी ट्रेन से जा रहे हैं। वे हजारों अन्य लोगों के संपर्क में आएँगे जिससे अत्यधिक संभावना है कि कम से कम एक कर्मचारी संक्रमित हो जाएगा और इसलिए आपको अपने ऑफिस को तुरंत बंद करना चाहिए।

यदि आप अभी भी झिझक रहे हैं क्योंकि किसी भी कर्मचारी में लक्षण नहीं दिख रहे, तो ये याद रखें कि 26% मामले लक्षण दिखाने से पहले ही संक्रमण फैलाने की क्षमता रखते हैं।

क्या आप नेताओं के समूह का हिस्सा हैं?

आगे की गणित मतलबी लग सकती है। यह हर कंपनी के रिस्क को व्यक्तिगत रूप से देखती है - हम जितना चाहें रिस्क ले सकते हैं, जब तक कोरोनोवायरस हमे ऑफिसों को बंद करने के लिए मजबूर नहीं कर देता।

लेकिन यदि आप व्यावसायिक या राजनीतिक नेताओं की लीग का हिस्सा हैं, तो आपकी गणना केवल एक कंपनी के लिए नहीं, बल्कि सबके के लिए होगी।तब यह गणित कुछ ऐसा दिखता है : किसी भी कंपनी के संक्रमित होने की संभावना क्या है? यदि आप सैन फ्रांसिस्को की 50 कंपनियों के एक समूह का हिस्सा हैं जहाँ सब में औसतन 250 कर्मचारी हैं, तो 35% संभावना है कि कम से कम एक कंपनी में एक कर्मचारी संक्रमित है। और यही संभावना अगले सप्ताह के लिए 97% है। मैंने यह देखने के लिए मॉडल में एक टैब जोड़ा है।

निष्कर्ष: इंतज़ार की कीमत क्या है?

आज आपको तात्कालिक निर्णय लेने में डर लग सकता है, लेकिन कोरोनावायरस के बारे में इस तरह से सोचना ग़लत होगा।

यह मॉडल अलग-अलग क्षेत्रों/ समुदायों को दिखाता है - एक जहाँ सोशल डिस्टेंसिंग लागू नहीं की जाती, एक जहाँ दिन ‘n’ पर ये लागू की जाती है, दूसरा दिन ‘n+1’ पर। सभी संख्याएं पूरी तरह से काल्पनिक हैं (मैंने इन्हे हुबेई की संख्याओं के आधार पर चुना है, जहाँ सबसे खराब स्थिति में रोज़ करीब 6,000 नए मामले सामने आ रहे थे)। यहाँ मैं सिर्फ ये दिखाना चाह रहा हूँ कि जब कोई महामारी घातक गति से फैलती है तो सिर्फ एक दिन की देरी कितनी महत्त्वपूर्ण हो सकती है । आप देख सकते हैं कि सिर्फ एक दिन की देरी से (लाल बनाम हरी रेखा) मामले कितने अधिक बढ़ जाते हैं और लंबे समय तक बने रहते हैं। मगर अंततः दोनों में ही दैनिक नए मामले शून्य की तरफ परिवर्तित होने लगते हैं।

यह तो हुई दैनिक मामलों की बात पर कुल मामलों का क्या? आइए देखते हैं।

हुबेई से ही मिलते जुलते इस मॉडल में, सिर्फ एक अतिरिक्त दिन के इंतजार से कुल मामले 40% तक बढ़ जाते हैं! इसलिए हो सकता है, अगर हुबेई में अधिकारियों ने 23 जनवरी की बजाय 22 जनवरी को लॉकडाउन की घोषणा कर दी होती, तो शायद कुल मामलों में 20 हज़ार की कमी आ जाती।

और याद रखें, ये केवल संक्रमित मामलों की बात थी। इस एक दिन की देरी से मृत्यु दर भी बहुत अधिक बढ़ी होगी। क्योंकि न केवल 40% मौतें अधिक हुई बल्कि, इन 40% ज़्यादा मामलों के भार से स्वास्थ्य व्यवस्था का भी बहुत ज़्यादा पतन हुआ, जिससे मृत्यु दर 10 गुना अधिक हुई, जैसा कि हमने पहले देखा था। मोटे तौर पर सोशल डिस्टेंसिंग को लागू करने में सिर्फ एक दिन की देरी मृत्यु दर को भयावह तरीके से बढ़ा सकती है। ऐसा इसलिए क्योंकि इस देरी से मामले भी अधिक पैदा होते हैं और स्वास्थ्य व्यवस्था के चरमराने से मृत्यु दर भी बढ़ जाती है।

कोरोनावायरस हमारे लिए बहुत खतरनाक है। हर एक दिन बेशकीमती है। अगर आप एक निर्णय लेने में एक दिन की देरी करेंगे, तो इसका असर सिर्फ कुछ मामलों पर नहीं पड़ेगा। हमारे समाज में शायद पहले से ही सैकड़ों या हजारों मामले हैं। ये संक्रमण हर उस दिन भयावह गति से बढ़ता है जिस दिन सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं किया जाता।

Written on March 19, 2020